| | | | 0-0-0 | उत्पत्ति | आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। | | Moses |
1 | | | 1 | 0-0-1 | उत्पत्ति | और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। | | Moses |
2 | | | 2 | 0-0-2 | उत्पत्ति | तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया। | | Moses |
3 | | | 3 | 0-0-3 | उत्पत्ति | और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया। | | Moses |
4 | | | 4 | 0-0-4 | उत्पत्ति | और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया॥ | | Moses |
5 | | | 5 | 0-0-5 | उत्पत्ति | फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए। | | Moses |
6 | | | 6 | 0-0-6 | उत्पत्ति | तब परमेश्वर ने एक अन्तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया। | | Moses |
7 | | | 7 | 0-0-7 | उत्पत्ति | और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया॥ | | Moses |
8 | | | 8 | 0-0-8 | उत्पत्ति | फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया। | | Moses |
9 | | | 9 | 0-0-9 | उत्पत्ति | और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। | | Moses |